दिहाड़ी मजदूर देवीलाल बैरवा ने कोरोना महामारी में 18000 रु. का सहयोग क‍िया इसेे कुछ ने बताया बहादुरी कुछ ने कहा बेतुका

दिहाड़ी मजदूर देवीलाल बैरवा ने कोरोना महामारी में 18000 रु. का सहयोग क‍िया


इसेे कुछ ने बताया बहादुरी कुछ ने कहा बेतुका





जयपुर। आज जहां देखे वही कोरोना का शोर सुनाई देता है यहां तक की आजकल तो लोगो को सपने भी कोरोना के ही आने लगै है। इस भयानक वैश्विक महामारी के चलते देश मे लॉकडाउन जारी है और इसी लॉकडाउन के चलते गरीब मजदूर व असहाय वर्ग पर रोजी-रोटी का संकट आन पडा़ है। ऐसे मे राज्य सरकार व भामाशाह जरूरतमंदों को सुखा राशन व भोजन के पैकेट देकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे है। लेकिन क्या आपने कभी सुना है? एक शख्स जो स्वंय मजदूर हो और मजदूरी करके अपना जीवनयापन चलाता हो वो दान करे, लेकिन यह सच है राजधानी जयपुर के गणपति नगर, कल्लावाला सांगानेर निवासी देवीलाल बैरवा ने कोरोना महामारी में जरुरतमंद परिवारों की भूख मिटाने हेतु अपनी बचत से जनता रसोई में 18000 हजार रूपए की आर्थिक मदद की है।आज इस विकट परिस्थिति में जहां धनी व संपन्न परिवार भी इस तरह का साहस नहीं दिखा पा रहे हैं, यहां तक कि जरूरत नहीं होने पर भी सरकारी मदद को अपना हक समझ कर अपने घर की शोभा बढाने मे लगे है वही देवीलाल का समाज के प्रति यह समर्पण काबिल-ए-तारिफ है। देवीलाल की यह अमूल्य मदद अनुकरणीय पहल हो सकती है


देवीलाल से इस दान देने के बारे मे पुछने पर बताया कि एक जगह से गुजर रहा था जहां खाना लेने के लिए लम्बी लाइन मे खड़े मजदूरों को देखा तो रहा न गया और पाई-पाई जोड़ कठिन समय के लिए इकट्ठी की गई राशि को कोरोना पीड़ीतों को दान करने साहस किया। देवीलाल जो खुद भवन निर्माण मिस्त्री एवं उनकी पत्नी बेलदारी का कार्य करके अपने परिवार का जीवनयापन करते है। यह राशि उन्होने अपने खून पसीने की कमाई से छोटी -छोटी बचत करके उनके संकटकाल के लिए बचत जमा की थी।


देवीलाल का कहना है कि कोरोना महामारी समस्त देशवासियों व विशेष रूप से दिहाड़ी मजदूरों के लिए बहुत ही बड़ा संकट का समय है। इसलिए उनके द्वारा कि गई इस बचत का इससे बढ़िया सदुपयोग नहीं हो सकता।


एक मजदूर द्वारा इस समय इतनी बड़ी राशि दान देना वाकई मे एक मिसाल है व हम सभी के लिए एक प्रेऱणास्त्रोत है क्‍योंकि पैसे वाले भी इतनी हिम्‍मत नही जुटा पाते वह जजबा अवश्‍य अनुकरणीय है किन्‍तु जब यह खबर बैरवा समाज ने सोि‍शियल मीडिया पर पढी तो लोगों ने कहा कि समाज में ऐसे बहुत से गरीब है जिन्‍हे खुद ऐसी सहायता की जरूरत है ऐसे में देवीलाल अपने परिवार का पेट काट कर बचाई रकम को अपने परिवार व स्‍वयं पर खर्च करता जो अधिक उचित रहता जिन लोगों के पास अतिरिक्‍त धन है यह कार्य उनका है । देवीलाल द्वारा किए गऐ इस क़त्‍य को बेतुका बताया ।